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Wednesday 24 August 2011

रात की सवारी


रात के दो बज रहे थे. जोरों की बारिश हो रही थी. घना अँधेरा था. बादल रह-रहकर गरज रहे थे. थोड़ी-थोड़ी देर पर बिजली चमकती तो आस-पास की चीजें दिखाई पड़ती थीं अन्यथा हाथ को हाथ दिखना भी मुश्किल लग रहा था.  झारखंड के घाटशिला स्टेशन के बाहर रामदीन अपना ऑटो लगाये सवारी का इंतजार कर रहा था. इस मौसम में सवारी मिलने की उम्मीद कम थी फिर भी हो सकता था कुछ देर बाद आनेवाली ट्रेन से कोई सवारी आ जाये. करीब एक घंटे बाद ट्रेन आई. थोड़ी देर बाद बिजली चमकने पर एक 18 -१९ वर्ष की मॉडर्न सी लड़की कंधे पर एक बैग लटकाए बाहर निकलती दिखी. वह सीधे उसके ऑटो के पास पहुंची और मुसाबनी चलने को कहा. रामदीन ने कहा कि रात का वक़्त है इसलिए  वहां चलने पर पांच सौ रूपये लूँगा. नहीं तो दो चार घंटे इंतज़ार कर लीजिये सुबह सौ रुपये में ले चलूँगा. लड़की बोली-अभी दो सौ रुपये रखो बाकी वहां पहुँच कर दूंगी. और ऑटो पर बैठ गयी.

Thursday 18 August 2011

खौफनाक हथेली


करीब 50 वर्ष पहले की बात है. नवीनचंद्र लखनऊ विश्वविध्यालय का छात्र था और  हॉस्टल में रहता था. एक दिन वह अपने कुछ दोस्तों के साथ नाईट शो फिल्म देखने गया. फिल्म ख़त्म होने के बाद दोस्तों के साथ चाय पीता और बातें करता रहा. तभी एक दोस्त ने कहा-'नवीन! रात के डेढ़ बज चुके हैं. तुम्हें अकेले हॉस्टल जाना है. हम तो शहर में ही रह जायेंगे. तुम निकल लो या फिर हमारे साथ रह जाओ सुबह चले जाना.'
नवीन ने कहा- 'नहीं..रुकूंगा नहीं मेरा रूम पार्टनर परेशान हो जायेगा.'
'जाओगे कैसे कोई रिक्शा भी नज़र नहीं आ रहा है.'

Monday 15 August 2011

भूतों के चक्कर में

 डा. एकेबी सिन्हा ने एकबार बक्सर से आरा आने के दौरान प्रेतों से साक्षात्कार से संबंधित एक आपबीती कहानी सुनाई थी. उन दिनों वे छपरा सदर अस्पताल में पदस्थापित थे. एक रोज की बात है. अस्पताल से रात करीब 12 बजे घर लौटे थे. तेज़ बारिश हो रही थी. उन्होंने अभी अपने कपडे भी नहीं बदले थे कि दरवाजे पर जोरों की दस्तक होने लगी. मैंने दरवाज़ा खोला तो देखा एक 20 -22  साल की लड़की खडी है. उसने बताया कि उसके पिताजी की तबीयत बहुत ख़राब है मैं चलकर देख लूं. मैंने उसे बताया कि मैं रात में मरीज नहीं देखता. इसपर वह बहुत गिडगिडाने लगी. मेरी पत्नी को दया आ गयी. उसने कहा कि इतना कह रही है तो जाकर देख लीजिये. मैं अनमना सा बाहर निकला अपनी कार निकली और उसे बैठने का इशारा किया.