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Thursday 18 August 2011

खौफनाक हथेली


करीब 50 वर्ष पहले की बात है. नवीनचंद्र लखनऊ विश्वविध्यालय का छात्र था और  हॉस्टल में रहता था. एक दिन वह अपने कुछ दोस्तों के साथ नाईट शो फिल्म देखने गया. फिल्म ख़त्म होने के बाद दोस्तों के साथ चाय पीता और बातें करता रहा. तभी एक दोस्त ने कहा-'नवीन! रात के डेढ़ बज चुके हैं. तुम्हें अकेले हॉस्टल जाना है. हम तो शहर में ही रह जायेंगे. तुम निकल लो या फिर हमारे साथ रह जाओ सुबह चले जाना.'
नवीन ने कहा- 'नहीं..रुकूंगा नहीं मेरा रूम पार्टनर परेशान हो जायेगा.'
'जाओगे कैसे कोई रिक्शा भी नज़र नहीं आ रहा है.'

कोई बात नहीं आगे मिल जायेगा..नहीं तो पैदल ही चला जाऊंगा.'
इतना कहकर नवीन तेज़ी से आगे बढ़ गया. रस्ते में कोई रिक्शा मिला नहीं. वह पैदल ही बढ़ चला. हल्की ठंढ पद रही थी. जब वह गोमती पुल पर पहुंचा तो ठंढ और बढ़ गयी. पुल सुनसान था. तभी उसे मूंगफली का खोमचा लिए एक आदमी दिखा. उसने सोचा मूंगफली खाते हुए निकल जायेगा. उसने मूंगफली खरीदी और जेब से पैसा निकाल कर उसकी ओर बढाया. लेकिन यह क्या..? मूंगफली वाले की हथेली घोड़े के खुर की तरह थी. नवीन के हाथ से पैसा गिर पड़ा. वह डरकर तेज़ी से भागा. थोड़ी दूर जाने के बाद उसे एक तांगा जाता हुआ दिखा. उसने तांगा रुकवाया और उसपर चढ़ गया. तांगेवाले को जल्दी चलने को कहा. कुछ देर बाद तांगेवाले ने पूछा-'क्या बात है आप कुछ घबडाये हुए लग रहे हैं.'
नवीन बोला-'नहीं तो... '
थोड़ी दूर जाने के बाद नवीन ने पूरी बात बताई. तांगेवाले ने कहा-'होता है' इसके बाद अपनी हथेली फैलाते हुए पूछा-'क्या वो हाथ ऐसे ही थे.'
नवीन ने देखा कि उसकी हथेली भी घोड़े के खुर की तरह..ठीक मूंगफली वाले जैसी थी. वह टंगे से कूदकर भागा. तांगेवाला अट्टहास लगाने लगा.
पुल पार पहुंचने ही वाला था कि उसकी नज़र कोट की जेब में हाथ डाले, कैप पहने एक व्यक्ति पर पड़ी जो धीरे-धीरे चल रहा था. कोट वाले ने पूछा-' इतनी तेज़ी से कहां जा रहे हो बरखुरदार?'
नवीन उसके पास चला आया. उसे दोनों घटनाएं बतलायीं. तबतक पुल के उस पार पहुंच चले थे. कैप वाले आदमी ने अपनी जेब से हाथ निकला और पूछा-'क्या उनके हाथ ऐसे ही थे?'
नवीन ने देखा उसके हाथ भी उसी तरह के थे. वह तेज़ी से दौड़ता हुआ पुल पार कर गया और बेहोश होकर गिर पड़ा. होश आने पर वह अस्पताल में था. उसके दोस्त और रूम पार्टनर वहीं खड़े थे. पता चला कि उसे 24 घंटे बाद होश आया था.

----छोटे

2 comments:

  1. Dear Chhotey,
    Very Good,this story is also worth reading. I think it is very good, that with the help of Babul you are learning a lot in computer & writing of Blogs,stories etc. I will also Thank Babul for helping you in this subject.
    Thanks,
    Babua

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  2. ye to chutiya bhi achi story hain bolke nai bol sakta

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