यह अपने ज़माने के चर्चित फिल्म अभिनेता दादामुनी यानी अशोक कुमार का भी भूत-प्रेत से पाला पड़ा था. उन्होंने उस ज़माने की एक पत्रिका में कुछ आपबीती घटनाओं के बारे में लिखा था. उनमें से एक घटना यूँ हुई कि एक बार सूटिंग के बाद वे देर रात अपनी कार से घर लौट रहे थे. जोरों की बारिश हो रही थी. रह-रहकर बिजली भी कड़क रही थी. गाड़ी चलने में उन्हें परेशानी हो रही थी. उन्होंने सोचा कि क्यों नहीं रस्ते में अपने दोस्त के गेस्ट हॉउस में रुक जाएँ और बारिश रुकने के बाद आगे बढ़ें. उन्होंने कार को गेस्ट हॉउस की तरफ मोड़ लिया. गाड़ी पार्क कर वे अंदर एक कमरे में चले गए. उन्होंने केयर टेकर से कहकर खिड़की के पास टेबुल-कुर्सी लगवा ली. एक जग पानी और ग्लास रखवा लिया. व्हिस्की की एक बोतल निकली और पेग बनाकर शिप करने लगे. तेज़ बारिश के बीच किसी ने दरवाज़ा खटखटाया. दरवाज़ा खोला तो उन्हें वहां एक खूबसूरत सी लड़की पानी से भीगी हुई खड़ी मिली. उसने बताया कि वह लिफ्ट लेकर एक ट्रक पर मुंबई जा रही थी. बारिश के कारण ट्रकवाला आगे नहीं जा रहा है. बारिश बंद होने के बाद जायेगा. मैंने खिड़की के पास आपको बैठे देखा तो चली आई. बारिश रुकने तक आप शरण दे दें तो....
''कोई बात नहीं अंदर आ जाओ'' दादामुनी ने उसे अंदर आने दिया फिर अपनी जगह बैठकर व्हिस्की पीने लगे. लड़की भी एक कुर्सी खींचकर उनके पास ही बैठ गयी. वह टकटकी लगाकर व्हिस्की के ग्लास की और देखने लगी.
''पियोगी?'' दादामुनी ने पूछा.
उसने सहमती से सर हिला दिया तो दादामुनी ने एक नया पेग बनाकर उसे दे दिया.
बारिश रुकने पर वह इजाजत लेकर बहार चली गयी. दादामुनी ने उसे ट्रक की तरफ जाते हुए देखा. ट्रक के पास पहुँचने पर ट्रक ड्राईवर से उसे कुछ बातें करते हुए देखा. फिर उन्होंने देखा कि ट्रकवाले ने अचानक चाकू निकाला और लड़की के सीने में घोंप दिया. लड़की सड़क पर गिरकर छटपटाने लगी और ट्रक वाला ट्रक लेकर भाग निकला. दादामुनी दौड़ते हुए वहां गए तो देखा लड़की मर चुकी है. वे अपनी कार से तुरंत थाना पहुंचे और थानेदार को घटना की जानकारी दी. थानेदार ने कहा कि वह उनका बहुत बड़ा फैन है. दादामुनी ने उसे घटनास्थल पर चलने को कहा. तभी एक सिपाही बोला कि वहां कोई क़त्ल नहीं हुआ है. जिस जगह की बात हो रही है वहां कई लोगों ने इस घटना की रिपोर्ट की है लेकिन वहां कुछ नहीं मिलता यह सब प्रेतलीला है.
दादामुनी के आग्रह करने पर सिपाही और दारोगा उनके साथ गए लेकिन दादामुनी यह देखकर दांग रह गए कि वहां न कोई लाश थी न खून के निशान. उन्हें मान लेना पड़ा कि सिपाही सच कह रहा था.
सिपाही ने कहा कि बहुत साल पहले इस जगह पर सही में एक लड़की का क़त्ल किसी ट्रकवाले ने किया था. उसकी आत्मा आज भी भटकती है और इसी तरह बरसात के मौसम में वह दिखाई पड़ती है.
-----प्रस्तुति: छोटे
''कोई बात नहीं अंदर आ जाओ'' दादामुनी ने उसे अंदर आने दिया फिर अपनी जगह बैठकर व्हिस्की पीने लगे. लड़की भी एक कुर्सी खींचकर उनके पास ही बैठ गयी. वह टकटकी लगाकर व्हिस्की के ग्लास की और देखने लगी.
''पियोगी?'' दादामुनी ने पूछा.
उसने सहमती से सर हिला दिया तो दादामुनी ने एक नया पेग बनाकर उसे दे दिया.
बारिश रुकने पर वह इजाजत लेकर बहार चली गयी. दादामुनी ने उसे ट्रक की तरफ जाते हुए देखा. ट्रक के पास पहुँचने पर ट्रक ड्राईवर से उसे कुछ बातें करते हुए देखा. फिर उन्होंने देखा कि ट्रकवाले ने अचानक चाकू निकाला और लड़की के सीने में घोंप दिया. लड़की सड़क पर गिरकर छटपटाने लगी और ट्रक वाला ट्रक लेकर भाग निकला. दादामुनी दौड़ते हुए वहां गए तो देखा लड़की मर चुकी है. वे अपनी कार से तुरंत थाना पहुंचे और थानेदार को घटना की जानकारी दी. थानेदार ने कहा कि वह उनका बहुत बड़ा फैन है. दादामुनी ने उसे घटनास्थल पर चलने को कहा. तभी एक सिपाही बोला कि वहां कोई क़त्ल नहीं हुआ है. जिस जगह की बात हो रही है वहां कई लोगों ने इस घटना की रिपोर्ट की है लेकिन वहां कुछ नहीं मिलता यह सब प्रेतलीला है.
दादामुनी के आग्रह करने पर सिपाही और दारोगा उनके साथ गए लेकिन दादामुनी यह देखकर दांग रह गए कि वहां न कोई लाश थी न खून के निशान. उन्हें मान लेना पड़ा कि सिपाही सच कह रहा था.
सिपाही ने कहा कि बहुत साल पहले इस जगह पर सही में एक लड़की का क़त्ल किसी ट्रकवाले ने किया था. उसकी आत्मा आज भी भटकती है और इसी तरह बरसात के मौसम में वह दिखाई पड़ती है.
-----प्रस्तुति: छोटे